Vickythesilentlover: माना कि मेरी "जिंदगी" में तू नहीं है अब, फिर मेरी यादों में "हर-पल" तेरी याद क्यूँ है.? --------------------------------------------------------------------------- जब ना रहा तेरा-मेरा कोई भी "वास्ता" तो, मेरी रग-रग में दौड़ता फिर तेरा "एहसास" क्यूँ है...? --------------------------------------------------------------------------- "समुंद्र" है मेरी "आंखों" में ये लोग कहते हैं, हर-दम इनको फिर तेरी "दीद" की "प्यास" क्यूँ है...? ---------------------------------------------------------------------------सुना है जो चले जाते हैं वो "लौटते" नहीं कभी, इस "नासमझ" दिल को फिर तेरे आने की "आस" क्यूँ है...? ---------------------------------------------------------------------------याद है मुझे जो खाई थी मेरी झूठी "कसमें" तूने, जब तोड़ दी इन्हें तो "जिस्म" में चल रही ये "सांस" क्यूँ है.? --------------------------------------------------------------------------- "तन्हा-सा" चल रहा हूं इन "वीरान-से" रास्तों पर मैं, जो नहीं तू साथ तो गूंज रही तेरी पायलों की आवाज़ क्यूँ है.? --------------------------------------------------------------------------- मैं रोज लिख रहा हूं "कौरे पन्नों" पर मेरे "जज़्बातों" को, तो "दुनिया" इनको समझती फिर "अल्फ़ाज़" क्यूँ है...??? ===================================== By : VICKY VERMA... www.facebook.com/diarybyvicky |
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