MK KAUSHIK: मत रौ एक हार पे बन्दे मत रौ एक हार पे बन्दे वो मंजर भी आयेगा। वर्षो जिसका इंतजार किया वो मंजिल भी पायेगा।। धीरज रख, मेहनत कर किस्मत खुद पे शर्मायेगा। हँस रहा तुझपे जो आज वो भी धोखा खायेगा।। मत रो हालात पे बन्दे चुटकी में बदला जायेगा। पराये भी अपने होंगे दुश्मन भी जश्न मनायेगा।। इसका-उसका बात ही क्या हैं पुरी दुनियां खुद पे शर्मायेगा। माँ-बाप का भी मान बढेगा जब सपने सच हो जायेगा।। पोंछ ले आंसु आँखो से गम कब तक टिक पायेगा। दुख कि भी शाम धलेगी खुशियो का कल भी आयेगा।। कडी मेहनत की आदत डालो किश्मत भी तेरा साथ निभायेगा। दौ कदम चल के तो देख राहें खुद मंजिल दिखलायेगा।। नदियां थक कर युँ बैठ गई समंदर में न मिल पायेगा। हिम्मत कर, भरोषा रख तु अपनी मंजिल पायेगा।। मत रौ एक हार पे बन्दे वो मंजर भी आयेगा। वर्षो जिसका इंतजार किया वो मंजिल भी पायेगा।। --------------M Kaushik-------- |
||
|